पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/८४

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मिचन्वनाः । । १० १७११ नाम--(३६८) पंचम् । रघनफाल-१७०७) नाम--(३६६) वेदगि राय ! ग्रन्थ-पारपरफार | (चनाकलि–१७०७] विवर–दाज के यह ६। नाम-३७०) मनोदरदास निरंजनो। अॅन्थ–१ शानचुपचनप, ३ सतप्रश्ननिरंजन ( शशिका ], ३ जानमंजरी ( १७१६ ),४ पट्र प्रश्न ( १७५७), ५ चैत परिमापा १ १ya }। रमन-अल-१७०७ । धिवर-वचनका गद्य में ईरती हैं। नाम-(३७१) मिहलाल। अन्य-गुरुग्नकासीमज़न । रचनावाल--१७०७ । विवरया-वैप्यावदास के शिष्य । नाम--(३२) सजानदास । ग्रन्थ-भागवत भापा । रचनाकाल----१७०७) विवरा-नरहरिदास के शिष्य ! नाम-(३७३) सिफाप्त जी स्याम राधाषाभी।