पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/८५

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बिहारी-कान] | पूजकृत प्रकरण ।। १०३ अन्य--(१) बानो, {२} प्रसादलता, { ३) अफिसिङ्गान्त, (४) पूजाविलास, (५) एकादशी-घालय, (६) बफंद,(s} रसाये। चनाकाल-१०७) पिंचरण-नरहरिदास के शिष्य। नाम-३७४} सिफ मिनिंदास । ग्रन्थ-यांमुळे।।। रचमाकोल-१७६६। नाम- ३७५) रामदास पाय । पुन्य-मामाश । धनकाल–१७ । नाम--(३७६) रात्र उतम राहर। प्रन्थ-रायला परतन। रचनाका–१७।। चिचाण-गि उपसिह र रतलाम के पैर। किमी छवि नै ग्रह रायसी इनके नाम पर बनायी । नाम--(३ ७) राम ।। उदाहरण में इनके है। पद लिने जाते हैं। अकबर बीर वर धीर धनि वर केसा गग की सुत्रवत्ताई गई रस पाधी ने । एक छ साईत सिलाने पक पउद्दी में पर भए भूत एक मात्र मारे हाथी नै । न्ध--(१) मल्लखि , (२) पिंगल, (३) छन्दतावली ।