पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/८६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१६ मित्रविद । वाय-संघ--१३०८ विपरगा--पाधार धै। माम-(३८) हुसैन । नावाल-१७०८ | पिंपरी-मून एन्य ज्ञारा में हैं। निन्म ४ ।। माम–(३७६) वर्मय राजपूताना पाले । रचनाकाल- १७१० फ पुर्य । भय-हीन झेशी । निकै सह पाचन सरोज में हैं। नमि-(३८०) जेठमल कायस्प भार । अन्ध-नरसीमद्दता की दी। रचनागल-१७१० । नाम--(३८१तत्त्ववेता। जन्मेसवत्-१६८० ।। रचना-साल-७१। विवर–दौन । माम–(३८३) दाराशाएँ । मेथ–१) दास्प सत्रह, १२सारस रचना-काल-१७१०। नाम--३८३) परसाद । झन्मयत्-१६८६ ।। धना-काल-१७६०।