पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/९८

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मिशभविना। [84 १५1१ मठे पतं; मन बेसिन के संग मान फैया रंग चा गद्दत रबि पि के ॥ डा के चैयर पी सी सी रति | छती घाद मरजाद असे दृए दिन्दुपाने की। फेदि गई यति के मन की फसक संघ | मिटि गई इस माम मुरझाने की । भूपन भनर दिलीपति दिल धधका सुन सुन धाफ सिचरान मरदाने की ! मेटी भई चंदा बिनु घेा के चार | सास की भई सम्पति चकछी के राने की । गढन जाय इदं धन सय करि ड़ेि केले धरम दुयार ४ मिघारी से । सादि के सपूत पूत वीर सियसिइ के गढ़ धारी किये थन यनबारी से ।। भूपन घानै केलें व इन्दी साने सैम सैयद जारी गई रैयत धज्ञा से । भता से मुगल भद्दामन से महाराज इड़ि लीन्हें परि पठान पटवारी से ॥ कवे के समान प्रमु दूदि देख्यो आन ६ निदान दान बुद्ध ने न केाऊ पद हैं। पंचम प्रचंड भुजदंड के अमान सुन भाज़िये के पी है। पठान शहरात ६ ॥