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मिश्रबंधु

१८ मिश्रबंधु-विनोद नाम-(२१/१००) सुखानंद स्वामी । ग्रंथ--(१) मनमोहिनी-विनोद, धर्म-संजीवनी, (३) विवेकसार, (४) विविध धर्म-निर्णय, (५) स्वर्णकार ब्राह्मण, (६) कान्यकुब्ज-वंशावली, (७) प्रात्म-तीर्थावलोकन, (८) राष्ट्रीय आल्हा तर्पण, (६) ब्रह्मनिर्णय, (१०) प्रश्नोत्तरी, (११) सुखानंद-गीता, (१२) निर्णय-नियम, (१३) अजब रामायण, (१४) मूल-निर्णय, (१५) सनाढ्य-वंशावली, (१६) सुखानंद-प्रकाश, (१७) स्वराज्य-विनोद, (१८) कर्म- उपासना, (१६) ज्ञान-पद्धति, (२०) राजधर्म, (२१) ज्ञान- तर्पण, (२२) ईश्वरावतार, (२३) वेदोक्गायन, (२४) ब्राह्मण जन्म-काल-सं० १८८१ । रचना-काल-सं०१६१६ । नाम-(२१/१०३ ) इंशाअल्लाखाँ। रचना-काल-सं० १६१७ के लगभग । काल -कवि लल्लूजीलाल के समकालीन थे। विवरण-आपने हिंदी की खड़ी बोली में 'रानी केतकी की कथा' रची। इसमें अनुप्रास-युक्त उदू-मिश्रित गद्य-काव्य है, इसे चाहे हिंदी कहें, चाहे उर्दू। नास--(२१/११५) देवीप्रसाद थापक ( सनाव्य ब्राह्मण); कालपी। जन्म-काल-सं० १८६० वि० । कविता-काल-सं० १६२० । सं० १६२० से १६३५ तक प्रधानाध्यापक, कालपी-मिडिल-स्कूल । १६४५ वि० में डिपुटी-इंस्पेक्टर ऑफ़ू स्कूल्स गृंथ-(१) ध्यान-माला, (२) मन-विनोद, (३) दुर्गाष्टक ।