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मिश्रबंधु
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मिश्रबंधु-विनोद

दुरिहै हग कोर जो भेख कहूँ सिगरा ब्रज फेरि बहाइहै जू ;

सिगरी यह रावरी ज्ञान-कथा कहि कौन को को समुझाइहै जू।

नाम-( २१/३४७ ) गिरिधर ।
 
कविता-काल-सं० १६२५ के लगभग ।
 
ग्रंथ--(१) प्रताप-यशेंद्र-चंद्रिका, (२) शिवसागर, (३) गोपाल-सागर, (४) मणिरत्न-माला (संस्कृत-ग्रंथ का हिंदी में छंदोबद्ध भापांतर)।
 
विवरण- -आप गुजरात के अंतर्गत बीजापूर ग्राम के निवासी थे। आप कवि ज्येष्ठालाल के सहाध्यायी तथा सहकवि थे। दोनो में ज्येष्ठालालजी कविता करने में विशेष प्रख्यात हुए । उपर्युक्त ग्रंथ दोनो कवियों की मिलकर बनाई हुई रचनाएँ हैं। आप दोनो महाशयों का गुजरात के रजवाड़ों में अच्छा सम्मान था ।
 
नाम-(२१६/२० ) राजेंद्रसिंह व्यवहार ।
 
ग्रंथ-(१) तुलसी का भक्ति-मार्ग, (२) तुलसी काव्य-कलाधर,(३) तुलसीदास और कालिदास, ( ४ ) वशीकरण, (५) ग्राम-सुधार, (६) आदर्श ग्राम, (७) पुनर्विवाह, (८) सत्य-विजय,(8) गीता की गाथा, (१०) शांति-निकेतन अथवा शिव-भारती का संग्राम-स्थल, (११) ईसा का उपदेश, (१२) महा-कवि कालिदास ।
 
जन्म-काल-सं० १६००।
 
विवरण-आप जबलपुर के प्रसिद्ध रईस व्यवहार रघुवीरसिंह के पुत्र हैं।
 
नाम-(२२१/१६ ) रघुनाथप्रसाद उपाध्याय, जौनपुर ।
 
ग्रंथ-निर्णय-मंजरी।
 
जन्म-काल-सं० १६०१ ।
 
विवरण-साधारण श्रेणी।