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मिश्रबंधु
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प्राचीन कविगण

आनॅंद करनवारी, चित को हरनवारी,
    शोभा को करनवारी, धारी मनि-मालिका ।
'माधव' बखाने, वर अमृत बयनवारी,
    नीरज . नयनवारीगज-मद-चालिका;
भृकुटी विशालवारी, प्रीति-प्रन पालवारी,
    आनी है गुपाललाल ऐसी ब्रजबालिका ।

नाम-(२२९/१८) रामरूपदास,ग्राम चनौथ(मगध देश)।
 
मृत्यु-काल-सं० १९३१ ।
 
ग्रंथ-गोपाल-सागर ( भजनावली)।
 
विवरण-आप राधावल्लभीय वैष्णव-संप्रदाय के थे। इनका देहांत ८२ वर्ष की अवस्था में हुआ ।
 
नाम--(२२९/१९) भन्नू कवि ब्रह्मभट्ट, झाँसी।
 
अनुमानतः जन्म-काल-सं० १९१० ।
 
कविता-काल-सं० १९३० ।
 
ग्रंथ--आप कई ग्रंथ के रचयिता कहे जाते हैं । किंतु वे अब तक अप्राप्त ही हैं।
 
उदाहरण-
 

एक पाइ अरध त्रिपाद की विभूति सर्व,
    श्रीमुख सहस्र पाद, अंध्रज अरत जात ;
श्रीपति स्वयंभू शंभू अंबु तप तेज सबै,
    'भन्नू कवि' नजर निछावर करत जात ।
यन्त्र-यत्र धरत पदारविंद रामचंद्र,
    तत्र-तत्र भूरि भूमि भाव सों भरत जात ;
देवी-देव-वृदन के, इंदन उपेंद्रन के,
    मुकुट महेंद्रन के पाँवरे परत जात ।