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मिश्रबंधु
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प्राचीन कविगण



के पद पर थे. और सन् १८५७वाले विद्रोह के समय अच्छा काम करने के उपलक्ष में ब्रिटिश सरकार ने इन्हें पदक आदि प्रदान करके सम्मानित किया था । श्राप तीन भाई थे । आपके ज्येष्ठ भ्राता राय-बहादुर पं० बालाप्रसादजी चौवे डिप्टी-सुपरिटेंडेंट पुलिस के पद पर थे, तथा मँझले भाई पं० मानिकप्रसादजी चौबे इंदौर में प्रधान जेलर थे चौबेजी स्वयं पुलिस इंस्पेक्टर तथा आनरेरी मैजिस्ट्रेट थे।[पं० मातादीन शुकल्, अध्यापक म्युनिसिपल हाईस्कूल, कटनी के द्वारा ज्ञात ] ।
 
नाम---( २४३/२६ ) काशीनाथजी मिश्र, मैनपुरी ।
 
गंथ-(१) स्फुट कविता, (२) लघु पाराशरी की छंदोबद्ध भाषा-टीका।
 
रचना-काल-सं० १६४० के लगभग ।
 
विवरण-आप माथुर चतुर्वेदी ब्राह्मण थे। यह स्वर्गीय मैनपुरी नरेश श्रीरामप्रतापसिंहजी के दरवारियों में से थे। महाराजा भरतपुर तथा कांकरोली भी आपके श्राश्रयदाता थे । भारतेंदु बाबू हरिश्चंद्रजी से इनकी घनिष्ठ मित्रता थी। यह ज्योतिष, वैद्यक तथा संगीत के अच्छे पंढित थे। भारतेंदुजी ने जो राग-रागिनियाँ रचीं, उनके स्वर-कार श्राप ही थे। [पं० उमरावसिंहजी पांडेय, मंत्री चतुर्वेद-पुस्तकालय, मैनपुरी के द्वारा ज्ञात ] ।
 
नाम-(२४/१४० ) गरीबदास गोस्वामी (सनाढ्य ब्राह्मण),दतिया।
 
जन्म-काल-सं० १६१०।
 
कविता-काल-सं० १६४० ।
 
विवरण-स्व. महाराज भवानीसिंह दतिया-नरेश के मंत्री(दीवान)थे ।