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मिश्रबंधु
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प्राचीन कविगण



उदाहरण-
 

जंगल में जाए कहा, पानफल खाए कहा,
     बार को बढ़ाए कहा, अंग रहे नंगा है,
भोग को बराए कहा, जोग को जगाए कहा,
     तन को तपाए कहा, वस्त्र गेरू रंगा है।
द्वारका को धाए कहा, छाप को लगाए कहा,
     मुंड मुंडवाए कहा, छार लाए अंगा है ;
'जीवा' जग माँहिं ऐसे, भेष धरे होत कहा,
     होत मन शुद्ध, तब गेह माँहिं गंगा है।

नाम-( २४६३/श्र) मालिकराम त्रिवेदी, शवरीनारायण-क्षेत्र,बिलासपुर।
 
ग्रंथ-(१) प्रबोध-चंद्रोदय-नाटक का हिंदी अनुवाद, (३) शवरीनारायण-माहात्म्य, (३) रामराज्य-वियोग-नाटक ।
 
विवरण-खड़ी बोली की कविता ।
 
मृत्यु-काल-सं० १६६६ ।
 
( नाम)-(२४६३/श्रा) राममनोहर मिश्र, ग्राम मौजा बराहीमपुर,ज़िला रायबरेली।
 
जन्म-काल-सं०१६२६ ।
 
रचना-काल-सं० १६४१ के लगभग ।
 
ग्रंथ-(१) स्फुट कविताएँ, (२) बाणभट्ट-कृत संस्कृत कादंबरी का पद्यानुवाद (अपूर्ण)।
 
विवरण-आपके पूर्वज अवध-प्रांतांतर्गत नारायणदास खेरा,जिला रायबरेली के रहनेवाले थे। कहा जाता है, इनके पितामह बंगाल में रोजगार करते थे, और पश्चात् संयुक्त-प्रांत में आकर बस गए। आप पं० रामाधारजी मिश्र के एकलौते पुत्र थे । इन्होंने कलकत्ते