पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ४.pdf/१२७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१२७
१२७
मिश्रबंधु


१२१
प्राचीन कविगण
नाम-(२४६४/आ) गोपालजी, सोढारम, पोरबंदर ।
 
जन्म-काल-सं० १६१७ ।
 
मृत्यु-काल-सं० १६७२ ।
 
ग्रंथ-(1) काव्य-प्रभाकर ( रुक्मिणी-विवाह ), (२)मलिंद-शतक, (३) रसाल-मंजरी, (४) तत्वात्मबोध, (५) हम्मीर- सर बावनी, (६) मणि-लक्ष्मण-बत्तीसी (बड़ौदा), (७)नारायण-सरोवर-माहाल्य, (८) द्वादशज्योतिर्लिंग-स्तोत्र, (९).वराहशिकाराष्टक, (१०) शिवाष्टक, (११) भुवनेश्वरीदेवी-स्तुति (१२) विध्यवासिनीदेवी-स्तुति, (१३) खेगार उदवाहानंद-पीयूष(भुज के राव खेगार के विचार का वर्णन )।
 
विवरण- इन्होंने कच्छभुत नगर में कविताभ्यास किया था।डूंगरपुर में आपका शरीरांत हुआ।
 
नाम-(२४६४ ) ग्रीव्ज (रेवरेंड एडविन)।
 
रचना-काल-सवत् १६४२ के लगभग ।
 
विवरण-आपका जन्म संवत् १६१७ में, लंदन-नगर में, हुआ । आप पादरियों के काम पर संवत् १६३८ में पहलेपहल भारत में आकर मिर्जापूर में दस-ग्यारह वर्ष रहे। वहीं आपने हिंदी सीखी। पीछे से आप बहुत काल तक काशी में रहे । आपने ईसाई-मत की पाँच पुस्तकें हिंदी में लिखीं, और तुलसीदास के जीवन-चरिन पर एक निबंध भी रचा । आप नागरी-प्रचारिणी सभा के एक प्राचीन सहायक और बड़े ही उदारचेता सजन हैं । अब आप विलायत चले गए हैं।आपने हिंदी-साहित्य का संक्षिप्त इतिहास अँगरेज़ी में लिखा है
 
नाम-(२४६४) मीठालालजी व्यास व्यावर, राजपूताना ।
 
ग्रंथ-(१) सर्वतोभद्र चक्र, (२) भारत का वायुशास्त्र,(३) टाड साहब की भूल ।