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मिश्रबंधु
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प्राचीन कविगण


उदाहरण-
 

सरमायो आयो सरण, तब पायो आनंद|
समझायो नृप चक्र को, प्रवल छुड़ायो फंद ।
दुर्वासा से प्रबल को दंड आप प्रभु दीन;
भक्तराज अंबरीष-से को महराज प्रबीन ।

नाम-(३३६४ ) इद्रदेवनारायण शर्मा ।
 
नाम-( ३३६५ ) ईश्वरीप्रतापनारायण राय ।
 
ग्रंथ-हास्य-श्रृंगार ।
 
विवरण-आप पड़रौना-ग्राम के निवासी थे। आपका वर्णन कवि व चित्रकार' में दिया हुआ है।
 
नाम-(३३६६) ऊधव ।
 

{{rh|ग्रंथ-( १ ) शृंगार-सुधाकर, (२) नख-शिख-हज़ारा(३) रत्नमालिका ( हस्त-लिखित)।

उदाहरण-
 
मोहन से विपरीत रती करि कामिनी काम-कला सुख पाए ।अंगन मजन बुंद विराजत केस सु आइके आनन छाए ।फेरिके हाथ सों जूरो बनावत 'ऊधव' योंहि लसे मन भाए। मानहु राहु ग्रस्यो सब मंडल है अरविंदन आनि छुड़ाए
 
नाम-(३३६७ ) खूबकृष्ण ।
 
ग्रंथ-स्वरूपमाला।
 
विवरण---यह करौली गाँव के चौधरी थे।
 
नाम-(३३१८) गणपति ।
 
काल-अज्ञात ।
 
ग्रंथ-छंदात्मक रामायण ।
 
विवरण---उक्त ग्रंथ का केवल लंकाकांड महाशय भालेरावजी “को उपलब्ध हुआ है।