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मिश्रबंधु

प्राचीन कविगण विवरण-आपके बहुत-से हिंदी-पद महाराष्ट्र-देश में कीर्तन करनेवाले प्रायः गाया करते हैं। नाम- -(३४०७) जिनदास । ग्रंथ-नाममाला। विवरण-श्रीनंददासजी का बनाया हुआ इसी नाम का ग्रंथ प्रसिद्ध है । आप जैन-धर्मानुयायी समझ पड़ते हैं, क्योंकि आपने ग्रंथ में बीच-बीच में तीर्थंकरों के नामों का उल्लेख किया है। नास-(३४०८) डाल । ग्रंथ-काव्य-संग्रह ( वेंकटेश्वर-प्रेस, बंबई से मुद्रित)। नाम-(३४०६) तुलसी। ग्रंथ-(१) नयनाभक्ति, (२) अष्टांग-योग, (३) वेदांत- ग्रंथ, (४) चौधरी ग्रंथ, (५) करनीसारजोग व्रथ, (६) साधु- लक्षण, (७) तत्व-गुल-भेद । विवरण-यह राजपूताने में एक साधु हो गए हैं। नाम-(३४१०) दाताप्रसाद कायस्थ, मिर्जापुर । नाम-(३४११) दुर्गादत्त, वृंदावन । ग्रंथ-आप हिंदी एवं संस्कृत के भारी विद्वान् तथा कवि थे। आप एक घड़ी में १०० श्लोक रचते थे । आपकी 'घटिकाशत' उपाधि थी। नाम-(३४१२) दूधाहाड़ानो बे आखंडी, गुजरात-प्रांत । ग्रंथ-दूधाहाडानी बेयाखरी । रचना-काल-लगभग १७१७ । विवरण-छाए बादशाह अकबर के समकालीन थे । ग्रंथ चारणी- भाषा में, जो डिंगाल-भावा कही जा सकती है, लिखा गया है। ग्रंथ में राजा हाड़ा दूदल का अकबर के साथ जो युद्ध हुआ था, उसका वर्णन है ।