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मिश्रबंधु

१२६ मिश्रबंधु-विनोद माल . 1 ४ उदाहरण- चासंद्र चहुआण: एकाण में वरतावण पाए । पुरण नक्षत्र तेजस प्रमाण ; कुंवर जनमे मुहित फैलाण । नाम---- -(३४१३) नवाब अनवरखा। ग्रंथ--अनवर चंद्रिका (बिहारी सतसई की टीका)। विवरण-श्राप सैयद मुस्तफाखाँ के पुत्र थे नाम-(३४१४) नारायण स्वामी, सरकारो बड़ा मंदिर, रियासत कपूरथला। ग्रंथ-(१) रघुनाथ-नाटक, (२) श्रीकृष्ण-जन्म-नाटक, (३) अनुराग-रस, )व्रज-विहार । नाम-( ३४१५ ) निष्कुलानंद स्वामी, गुजरात-प्रांत । ग्रंथ--स्फुट कविताएँ । विवरण ---आप स्वामी सहजानंदजी के शिष्य थे। इनके विषय में कवि दलपतराम ने यों कहा है- "मानहु है वैराग्य कि सुरती; रखत सदा प्रभु-पद में सुरती।" नाम-( ३४१६ ) नोहर( नवहरि सिंह (अनुरूप), वृंदावन । ग्रंथ-(१) हनुमानुत्पत्ति, (२) नोहर-विनोद, (३) नोहर- विलास, (४) सतिबानी, (५) अनुभव-ज्ञान । नाम-(३४१७) परमेश। ग्रंथ-भक्ति-सत्ता। विवरण-श्राप डुमराव निवासी वैश्य थे।