पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ४.pdf/१३७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१३७
१३७
मिश्रबंधु
          अज्ञात काल       १३१

नाम--(३४३८) मौड़जी,मलिया गाँव के ठाकुर साहब ।

ग्रंथ---पोस्त-पचीसी।

विवरण--आप यदुवंशी थे। उक्त अंथ अफ़ीमचियों के लिये रचा गया है।


उदाहरण---- जे ही दुखकारी याकु मानते हो सारी तुम,

 दिल में विचारि देखो कैसी यह सारी है;

नाक मुख वारी जारी रेत ना उघारी आँख,

 सुस्त मन भारी उठे हिम्मत बिसारी है।

रंजन जो नारी लागे थोड़े दिन प्यारी वह,

 पाछे देत गारी अंत विष-सम खारी है;

कहत पुकारी सुनु अरज हमारी साँझ,

 अफ्रिम की यारी सारे भौन की खुवारी है ।

नाम--(३४३६)मंगलदास महंत,सिहोर-राज्य भावनगर, (काठियावाड़)।

 ग्रंथ-शिव-विलास।

नाम--(३४४०) रघुनाथ, जूनागढ।

 ग्रंथ-(१)बेट-बावनी,(२) बाल-लीला।

विवरण-आप बड़नगरा नागर ब्राह्मण थे।

 नाम--(३४४१) रसरंगमणि।

ग्रंथ-श्रीसरयूरसरंगलहरी।

 नाम-(३४४२) रसराशि उपनाम रामनारायण,जयपुर।

ग्रंथ-(१) कवित्त-रलमाला,(२) रसिक-पचीसी।

विवरण-आप जयपुराधीश महाराजा प्रतापसिंहजी के सम- कालीन थे।