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मिश्रबंधु

सं० १९४५ पूर्व नूतन , उदाहरण- बखरी रयतर है मारे की, दई पिया प्यारे की। ची भीत उठी माँटी की , छई फूस चारे की। बखरी. चेबंदेज३ बड़ी बेवाड़ा जेइ में दस द्वारे फी। बखरी० नहीं किवार किवरिया एको, विना कुची - तारे कीट। बखरी० 'ईसुर'चाए निकारें जिदिना, हमें कौन उबारे की। बखरी० जब से भई प्रीत की पीरा; खुशी नहीं जो६ जीरा । कुरा माटी भो फिरत है, इते उत्ते मन हीरा कमती या गइ रकत सास की, बहो द्वगन ते नीरा। फूंकत जात विरह की श्रागी, सूकत जात शरीरा; श्रोई नीम में मानत ईसुर, श्रोई नीम की कीरा । x x हम पे बैरिन बरसा आई, बचा लेव माई। चढ़ के अटा घटा ना देखें, देव अगनाई। पटा १. बखरी = घर । २. रइयत = रहियत, रहते हैं । ३. बेबंदेज- 'बिना रोक की। ४. कुची तारे की कुंजी-ताले की । ५. उवार को = सुभीते . की । ६. जो - यह । ७. जीरा % जियरा, जी।