पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ४.pdf/२०

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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद । नाम-(१) वीणापा (सिड सासर--१५० के लगभग । बथ--वज्रडाकिनी निष्पन्नक्रम । विवरण-गौड़ देश के क्षत्रिय-वंश में इनका जन्म हुआ था। इनके गुरु का नाम भद्रपा (सिद्ध २४) था। पीछे से आप कण्हपा के शिष्य हुए । कण्हपा के सहारे इनका समय ज्ञात हुआ उनहरण- राग पटसंजरो १७ "सुज लाउ ससि लागेलि तांती, अणहा दांडी वाकि कि अत अवधूती । ध्रु० बाजइ अलो सहि हरु अवीणा, सुन तांति धनि विलसइ रुणा । ध्रु० प्रालिकालि वेणि सारि सुणेया, गअवर समरस सांधि गुणिमा । ध्रु. जो करह कर हक लेपि चिउ बतिश तांति धनि स एल विश्रापिउ । ध्रु० नाचंति वाजिल गांति देवी, बुद्ध नाटक विसमा होइ।" ध्रु० नास--(१) कुश रिपा (लिव ३४)। समय-सं०८६० के लगभग । अंथ-(१) तव-सुख-भावनानुसारियोगभावनोपदेश, (२) स्खवपरिच्छेदन । विवरण-कपिलवस्तु के ब्राह्मण थे। चरपटीपा के शिष्य और मनिपा इनके गुरुभाई थे। इनके उपर्युक्त दो ग्रंथ हिंदी में हैं । वे तंजूर के पुस्तकालय में हैं।