पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ४.pdf/२०६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
२०६
२०६
मिश्रबंधु

सं० १९५० पूर्व नूतन २० नाम-~-( ३४६६ ) जगन्नाथ चौबे (माथुर ), दी। जन्म-काल-सं० १९२८ । कविता-काल--सं० १९५० । ग्रंथ-(१) अलंकार-माला, (२) रामायण-सार, (३) माथुर- कुल-कल्पद्रुम, (४) शिक्षा-दर्पण, (१) यमुना-पचीसी । विवरण- यह सुकवि दूं दी-दरबार के आश्रित कवि ज्ञारसीराम उदाहरण: भूमि करयो अंबर दिगंबर तिलक भाल, विप्र उपवीत करयो यज्ञ के हवन मैं; माथुर कहत सुरनाथ सुरभोग करयो, वाहन बनायो बिधि आपने गचन विस्व को सिंगार भयो सुखमा अपार धरि, दौस निसि बाढ़े तक छवि की छवनि मैं ; यूँ दीनाथ प्रवल प्रतापी रघुवीरसिंह, तेरो जस श्रावत न चौदही भुवन मैं। १ । नाम-( ३५०० ) जैनेंद्रकिशोर । अंथ-(१) कमलिनी, (२) खगोल-विज्ञान, (३) मनोरमा, (४) सोमा सती, परख आदि । विवरण-श्राप गद्य के सुलेखक, पारा के प्रसिद्ध ज़मींदार अन- वाल जैन हैं । कई छोटी-बड़ी कथाएं भी लिख चुके हैं । नामी उपन्यास-लेखक हैं । परख पर आपको हिंदुस्तानी एकेडेमी से पुरस्कार मिला है। नाम-( ३५०१) भगवानदास बाबू ( वैश्य)। जन्मकाल-१९२५ । विवरण--आप काशी-निवासी प्रसिद्ध विद्या-प्रेमी एक परम प्रसिद्ध