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मिश्रबंधु

२०२ मिश्रबंधु-विनोद सं० १९५० पुरुष हैं । आप प्रथम तीन वर्ष तक तहसीलदार तथा चार वर्ष तक डिप्टी कलेक्टर रहे । फिर अापने १६७४ में इस्तीफा देकर सेंट्रल हिंदु-कॉलेज का स्थापन तथा संवत् १९८० तक उसी का संवर्धन किया। आप उसी कॉलेज में सनातन-धर्म पर व्याख्यान भी दिया करते थे। तत्पश्चात् काशी-विश्वविद्यालय सोसायटी के उपमंत्री एवं विश्वविद्यालय के कोर्ट, कौंसिल, सेनेट तथा सिंडीकेट के सदस्य रहे । संवत् १९७८ में पाप हिंदी-साहित्य-सम्मेलन के सभा- पति थे। अापने धार्मिक तथा प्राध्यात्मिक विषयों पर अँगरेज़ी एवं हिंदी में कई पुस्तकें लिखीं । सामाजिक सुधार के भी श्राप पक्षपाती हैं। हिंदू-धर्म पर आपके ग्रंथ बहुत विद्वत्तापूर्ण हैं ! श्राप भारी विद्वान्, रईस और धार्मिक पंडित हैं । नाम-(३५०२ ) भवानीप्रसाद पुरोहित । जन्म-काल-१६२५ । विवरण-~-शिक्षा विभाग-संबंधी बहुत-सी पाठशालोपयोगी पुस्तके आपने लिखी हैं । आप दुने कान्यकुब्ज प्रात्मण पं० विहारीलाल के प्रपौत्र तथा पं० बालमुकुंद के पुत्र हैं। शिक्षा-विभाग मध्यप्रांत में 'नापने स्वयं तथा आपके पिता-पितामह ने भी नौकरी की। नाम-(३१०३ ) भागवतप्रसाद ( भानु), हरदो गाँव, रीवा-राज्य। जन्म-काल-सं० १९२४ । कविता-काल-सं० १९५० के लगभग । अंथनगर-दर्शन ( नाटक)। विवरण-आप हिंदी तथा उदू के अतिरिक्त अरबी और फारसी के भी ज्ञाता थे। कहा जाता है कि कानून में भी इन्होंने अच्छा ज्ञान प्राप्त किया था । यह महाशय हमें श्रीयुत भानुसिंह बघेल, रीवाँ द्वारा ज्ञात हुए हैं । कविता आपकी अच्छी है। 3