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मिश्रबंधु

1 नाम- मिश्रबंधु-विनोद सं० १९५० विवरण-श्राप पं० फदालीराम शास्त्री के पुत्र हैं। हिंदी के अतिरिक्त संस्कृत के भी ज्ञाता हैं। ब्रजभाषा में कविता करते हैं आजकल श्रीकृष्ण-लीला पर 'प्रिय-प्रवास'-नामक ग्रंथ ब्रज- भाषा में लिख रहे हैं । [श्रीयुत नन्हूलालजी, अध्यापक, हटा (दमोह) द्वारा ज्ञात] (३५११ ) हेमंतकुमारी चौधरी। आपका जन्म सं० १९२५ में लाहौर में हुआ और १६४२ में विवाह के पश्चात् ये शिलांग चली गई। श्राप कई स्थानों में रहीं और सदैव परोपकारी कार्य करती रहीं। आपने श्रादर्श माता, माता और कन्या, नारी-पुप्पावली और हिंदी वंगला प्रथम शिक्षा-नामक पुस्तकें रची। श्राप हिंदी में वक्तृता भी देती हैं । श्रापकी लेखन- प्रथा उच्च है। समय-संवत् १९५१ नाम-(३५१२) गदाधरसिंह ठाकुर सचेंडीवाले । जन्म-काल-सं० १६२६ ( काशी में)। अापका निवास स्थान सचेंडी, जिला कानपुर है । आप १८ वर्ष सरकारी पलटन में नौकर रहकर डाक विभाग में १५०) मासिक वेतन पर पोस्ट-मास्टर हुए । सेना-विभाग में बर्मा एवं चीन के युद्धों में आप लड़े, तथा शाहंशाह एडवर्ड के तिलकोत्सव में निमंत्रित होकर विलायत गए । इन्होंने छोटे ग्रंथों के अतिरिक्त चीन में तेरह मास, हमारी एडवर्ड-तिलक-याना तथा रूस-जापान-युद्ध- नामक तीन परमोत्तम भारी पुस्तके भी लिखी । इनके ग्रंथों में भारतोत्थान पर हर जगह बड़ा जोर दिया गया है। देश-हित इस महापुरुष की नस-नस में भरा था और रचनात्रों से वह भली भांति प्रदर्शित होता है। इनके ग्रंथों में जिंदा-दिली की मात्रा खूब है और उनसे बहुत अच्छे उपदेश मिलते हैं। यह महाशय अपने मरण