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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९५३ (१) नागरोत्पत्ति, (२) भूगोल भरतपुर, (३) सनातनधर्म रत्नमयी, (४) रस-रत्नाकर, (५) निज उपाय, (६) संक्रांति-निर्णय, (७) सायन, निरयन गणना पर विचार, (८) पुरानी घटनाओं के समय को निकालने में (४) विविध ज्योतिष क्या सहायता देता है, (१) पटेल- बिल, (१० ) हिंदू-धर्म का प्रस्तार, (११) प्राकृतिक भूगोल, (१२) उपवन-विनोद, (१३) नुसखा-संग्रह, (१४) वर्षा के पारख व शकुन, (१५) स्मृति-सार-संग्रह । विवरण-श्राप नागर ब्राह्मण-कुलोत्पन्न हैं। आपकी जाति का श्रादिम निवास स्थान काठियावाड़-प्रदेशांतर्गत पुराण प्रसिद्ध चमत्कारपुर व आनंदपुर(सांप्रत बड़नगर ) रहा है। श्रापके पूर्वज भी इसी स्थान के निवासी थे। कालांतर से पंचौलीजी के पूर्वज अपना आदिम निवास- स्थान छोड़कर अलीगढ़ में आकर बस गए, और वहीं आपका जन्म हुा । आपने उच्च शिक्षा और विविध विषयों का ज्ञान प्राप्त किया। आपकी लेख-मालाएँ इस बात का भली भाँति परिचय देती हैं। इस समय अाप भरतपुर-राज्य से पेंशन पा रहे हैं, और बूंदी-राज्य में न्याय- विभाग के मेंबर हैं। श्रापके ग्रंथ उपयोगी विषयों पर हैं। ऐसे ही उपकारी तथा लोकोपयोगी लेखकों द्वारा हिंदी का मस्तक ऊँचा हो सकता है। x x नाम-(३५१४) दामोदरसहायसिंह । जन्म-काल-१९३२ । रचना-काल--सं० १९५१ ग्रंथ-(१) उद्यम-विचार, (२) काल-पचासा, (३) हमारी शिक्षा-प्रणाली, (४) श्रीहरिगीतिका, (५) नृपसूर्यास्त, (६) x .