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मिश्रबंधु

सं० १९९१ पूर्व नूतन २१३ गई है। भापा इसकी संस्कृत, बज-भाषा तथा बैसवाड़ी मिश्रित है। हम मथुराप्रसादजी को मधुसूदनदासजी की श्रेणी में रखते हैं। उदाहरण- रवि किरण तनु ते प्रकट शशधर ज्योति ज्योतिप्मान; श्रम-बिंदु भालकत चंद्रमुख अरबिंद-विंदु समान । रवि उदय ते लगि अस्त युद्ध प्रवृत्त नहिं अवसान; कर मध्य भीपण धनुप बरखहि प्रखर अगणित बान । तूणीर ते शर लेत क्षण यकमात्र वाण लखाय; दरसात रिपु-दल पर परत शत सहस अधिकाय ।। संग्रास जासु यम आदि गए पराई , कोदंड हाथ लखि कंपत देवराई। जेते सुरासुर सुवीर त्रिलोक माही; जाके कराल शर ते थिर कोउ नाहीं । श्रादेश कारि शशि सूर समीर जाके; त्रैलोक्य हर्पित महा विनिपात ताके । सानंद देव-मुनि वृंद ऋचा सुना3; गंधर्व दुदुभि वजाय सुगीत गावें। -(३५१७) रामनाथ ज्योतिषी वृंदावन शुक्ल के पुत्र । जन्प-स्थान-भैरमपुर, रायबरेली। नन्म-काल-सं० १९३१ । रचना-काल-सं० १९५१ । बंथ-(१) सी० आर० दास की महायात्रा, (२) वीर नारी, (३) विधवा-बत्तीसा, (४) रामचंद्रीय महाकाव्य (मुद्रित ), (५) महाभारत महाकाव्य, (६) लाहौर की कांग्रेस, (७) मोतीलाल-जीवन-चरित्र, (८) यतींद्र-नवरत, (8) जोतिपी. सतसई, (१०) कृष्णदत्त-काव्य, (११) अयोध्या-शाकद्वीपीराज- -