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मिश्रबंधु

२१४. मिश्रबंधु-विनोद सं० ११५१ । वंश (गद्य), (१२) गांधा और गोलमेज, (१३) गांधी शत- नाम-स्तोत्र (संस्कृत), (१४) शिवकुमार-जीवन-चरित्र, (१६) सामयिक साहित्य-सरोवर, (१६) जगदेव-सुयश-दंब, (१७) रामचंद्रोदय, (१८) शांति कुटीर जन्म । विवरण-भैरवपुर, जिला रायबरेली से कई राजदारों में सम्मान- सहित रहे । वैष्णव-सम्मेलन पत्र के संपादक रहे हैं । कहर सनातनी होने पर भी लमाज-सुधारक । विधवा-विवाह, अछूतो- द्वार प्रादि के समर्थक । गांधी-भक्त तथा विविध विषयों-सहित राष्ट्रीय कवि । अाजकल अयोध्या राजकवि और पुस्तकालयाध्यक्ष रत्नाकरजी-कृत विहारी रलाकर के लिये कई मास जयपुर में रहकर श्राप बड़ी सामग्री लाए थे, जिसका उल्लेख उक्त ग्रंथ की भूमिका में वर्तमान है। २५६ पृष्ठों का श्रीराम-चंद्रोदय काव्य-ग्रंथ छप चुका है, जो हमारे पास है । इसकी कविता प्रोज-पूर्ण तथा श्लाध्य है। आपने कुछ-कुछ केशवदास की प्रणाली ब्रहण की है। ज्योतिपीजी सज्जन पुरुष और उत्कृष्ट कवि हैं। उदाहरण- रायबरेली प्रांत राज रहवाँ गुण-मंडित ; भए भूप रघुबीरबक्स कलकीर्ति अखंडित । रघुनंदन का शास्त्रि रहे परधानाध्यापक तिनकी कृपा-कटाक्ष जोतिसी' भे बहुव्यापक । विज्ञान, व्याकरण, न्याय नय ज्योतिष चंदापुर नृप सँग रहे, द्वादशाब्द पित्त नाश कर देत, बात को त्रास दिखावत ; कफ जोतिसी बिदारि, मारि, त्रय-ताप भगावत । . > काव्य कलाप j मान मदि।