पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ४.pdf/२३५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
२३५
२३५
मिश्रबंधु

२३० मिश्रबंधु-विनोद सं० १९५५ लगभग। जन्स-काल-सं० १९३० रचना-काल-१६५५ । प्रथ-(१) स्वामी रामतीर्थ के व्याख्यानों के हिंदी-अनुवाद, (२) भगवद्गीता की व्याख्या (दो भागों में)। विवरण-याप स्वामी रामतीर्थ के शिष्य तथा उनके श्राश्रम के अधिष्ठाता हैं । अँगरेज़ी जानते हैं, संस्कृत के अच्छे पंडित तथा हिंदी के उत्कृष्ट व्याख्याता हैं। आप बड़े परोपकारी, संयुक्त प्रांतीय धर्म-रक्षिणी सभा के सभापति तथा उत्साही कार्यकर्ता एवं सज्जन हैं । कई मंदिरों का उद्धार एवं सुप्रबंध किया है। हम लोगों पर भी कृपा करते हैं। शास्त्रज्ञ भी हैं। नाम-( ३५३६ ) बनवारीलाल चतुर्वेदी, हरदोई । जन्म-काल-सं० १९३० । मृत्यु-काल-सं० १९७१। ग्रंथ-तिमिर-प्रदीप । विवरण---आप माथुर चतुर्वेदी ब्राह्मण पं० हुक्मचंदजी मिश्रके पुन तथा हरदोई-ज़िले के सदर खजांची थे। आप सुझवि समझ पड़ते हैं। उदाहरण- तिमिर प्रदीपक ग्रंथ मिल्यो सुंदर सुकाव्य जुत ; ज्योतिष दीप अपार तासु भाषा आशय जुत । फलित गणित अरु प्रश्न तंत्र शुभ लग्न तंत्रिका जय रु अजय के प्रश्न योगिनी मंत्र जत्रिका । लघु जातक जातक सबै सब चुनि चुनि आशय सुहित यह रचौ छंद रचना सुलभ सो सौंपत हौं श्रापु हित । नाम-( ३५३६ ) रामचंद्र दुबे। जन्म-काल-१६३० । 5