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मिश्रबंधु

पूर्व नूतन ग्रंथ-(१) डूंगरपुर-राज्य का इतिहास, (२) बाँसवाड़े का इतिहास, (३) होरेशस या कुमारी, (४) निधन राम, (५) खेतड़ी-राज्य का इतिहास । विवरण-दूंगरपुर-निवासी पं० झब्बालाल के पुन । --( ३५३७ ) राय देवीप्रसाद (पूर्ण)। जन्म-काल-सं० १९२५ । कविता-काल-सं० १९५५ । मृत्यु-काल-सं० १९७२ । विवरण--यह कायस्थ महाशय कानपुर में वकालत करते थे, नो अच्छी चलती थी। राय साहब कविता के बड़े प्रेमी और गाने- बजाने में भी निपुण थे । इनके रचित तथा अनुवादित मृत्युंजय, धाराधरधावन, चंद्रकलाभानुकुमार नाटक और बहुत-से स्फुट छंद हैं। यह रसिक-समाज के उपसभापति थे, और रस-वाटिका में इनकी बहुत-सी समस्या-पूर्ति की रचना प्रकाशित हुई थी। सरस्वती में भी इनकी कविता प्रायः छपा करती थी। इनका काव्य बहुत सरस होता था। गध के भी यह अच्छे लेखक थे। इनका धाराधरधावन, ( मेघदूत भाषा) एक सुंदर ग्रंथ है, जिसमें कालिदास के पूर्ण भाव लाने में यह समर्थ हुए हैं, और उस पर भी इसमें शिथिलता नहीं श्राने पाई, जो प्रायः अनुवादों में या जाती है। यह खड़ी बोली का काव्य भी करते थे, जो प्रशंसनीय है। इनका नाटक खेलने के अयोग्य, किंतु काव्योत्कर्ष-पूर्ण होने से अच्छा कहा जा सकता है। वास्तव में नाटक न होकर वह नाटक के रूप में एक उत्कृष्ट काव्य-ग्रंथ है । इनकी भाषा प्रायः ब्रजभाषा होती थी, जो सानुप्रास और हृदय-ग्राहिणी है। इनकी कविताओं का संग्रह 'पूर्ण-संग्रह' नाम से छप चुका है। इनकी गणना तोष कवि की श्रेणी में की जाती है। आप हमारे मित्र थे। इनमें कवित्व-शक्ति उच्च कोटि की थी।