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मिश्रबंधु

सं० १६५७ पूर्व नूतन श्रापका जन्म आगरे के एक सुसम्मानित वैश्य-घराने में सं० १९३२ में हुआ। आप जाति के गर्ग गोत्रीय अग्रवाल वैश्य थे। एम० ए० के अतिरिक्त इन्होंने कानूनी शिक्षा भी प्रास की । सं०१९५४ के लगभग कॉलेज छोड़ने पर इन्होंने रियासतों में नौकरी स्वीकार कर ली। यह राज्य जोधपुर में ७ वर्ष तक उच्च पद पर रहे, और तब से मृत्यु-पर्यंत यह रियासत धौलपुर में रहे । इस राज्य में श्राप वहुत काल-पर्यंत शिक्षा विभाग के उच्च कर्मचारी रहे, और इस लेख के लिखे जाने पर इसी वर्ष कात्तिक सं० १९६० में श्रापका स्वर्गवास हो गया। फिर ज्युडीशल सेक्रेटरी के पद पर सुशोभित हुए । श्राप दार्शनिक तथा धार्मिक विपयों में बड़ी योग्यता रखते थे, और अापके महत्व पूर्ण ग्रंथ मुख्यतः इन्हीं विषयों पर हैं । आपने अाज तक २५ के ऊपर हिंदी-ग्रंथ लिखे । इनके अतिरिक्त लगभग २० ग्रंथ अँगरेजी भाषा में हैं । अापके हिंदी-ग्रंथ ये हैं-(१) गीता-दर्शन (द्वितीय संस्करण), (२) साहित्य-संगीत-निरूपण, (३) हर्बर्ट स्पेंसर की अज्ञेय मीमांसा, (४) हर्बर्ट स्पेंसर की ज्ञेय मीमांसा, (१) भारतवर्ष के धुरंधर कवि, (६) सामाजिक सुधार, (७) अँगरेज़ी-राज्य के सुख, (८) जैन-तत्त्व-मीमांसा, (६) हिंदी-प्रचार के उपयोगी साधन, (१०) प्रश्नोत्तरमाला, (११) कवीर- सुभापित-रलमाला, (१२) सप्त भंगीनय, (१३) हिंदू-सभ्यता की प्रारंभिक शिक्षा, (१४) हिंदी-व्याकरण-बोध, (१५) हिंदी- व्याकरण-सार, (१६) हिंदू-जाति में स्त्रियों का गौरव, (१७) एक्सचेंज, (३८) योग-दर्पण, (१६) वैशेषिक-दर्पण, (२० न्याय-दर्पण, (२१) सनातनधर्म, (२२) भारतवर्ष का संदेश, (२३) बार्हस्पत्य अर्थशास्त्र, (२४) महिला-सुधार, (२५) विविध विषय-लेखमाला । ऊपर दिए हुए ग्रंथों के अतिरिक्त समय-समय पर अनेकानेक