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मिश्रबंधु

२४२ मिश्रबंधु-विनोद सं० १९५७ - नाम आपने बाबू इंद्रदेव-नारायण कृत रामायण की टीका का भी संशोधन किया, किंतु यह ग्रंथ अभी अप्रकाशित है। [ श्रीयुत रासचरणजी, किशोरी-भवन, मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार द्वारा ज्ञात ] । उदाहरण- राम-राम जपु जीह सदा सानुराग रे, कलि न बिराग योग जाग तप त्याग रे।। राम-राम सुमिरन सब विधि ही को राज रे, नाम को बिसारिबो निषेध शिरताज रे ।२। राम काम तरु देत फल चारि रे, कहत पुरान बेद पंडित पुरारि रे । ३ । राम नाम महामणि, फणि जग - जाल रे, मणि विना फणि जिए व्याकुल बेहाल रे। ४ । राम - नाम प्रेम परमारथ का साथ रे, राम - नास तुलसी को जीवन अधार रे ।। X x X नाम-(३५४६ ) बजरत्न भट्टाचार्य, मुरादाबाद । जन्म-काल-सं० १९३२ । ग्रंथ-आपके प्रायः १०० अनुवाद एवं टीका-ग्रंथ हैं। विवरण-आप बड़े परोपकारी एवं उदार महाशय हैं । रीवाँ से निकलनेवाले 'शुभचिंतक'-नामक पत्र के संपादक रहे । नाम-(३५५०) भगवानदास । मंथ-राजा भवानीसिंह प्रकाश [प्र. ० रि०] । विवरण-दतिया-नरेश की प्रशंसा में बनाया गया । नाम-(३५५१)-अगवानदीन (दीन) लाला । आपका जन्म सं० १९३२ में जिला फतेहपुर के सौज़ा बरवट में हुआ । आप कायस्थ श्रीवास्तव थे । आपने पहले फारसी-भाषा