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मिश्रबंधु

सं० १९५७ पूर्व नूतन खन्ना के घर हुश्रा । इनके पूर्व-पुरुष लाहौर-वासी थे, किंतु ये बनारस में रहने लगे। आपने सं० १९१४ में बी. ए.-परीक्षा पास की, और सं० १९५६ से दस वर्ष तक हिंदू-कॉलेज में अध्यापक का काम किया। काशी-नागरी-प्रचारिणी सभा स्थापित करने में श्रापने विशेष श्रम किया, और बारह वर्ष से अधिक आप उसके मंत्री रहे । सभा को वर्तमान उन्नत दशा में पहुँचाने में सबसे बड़ा श्रेय आप ही का है । आप ६ वर्ष तक हिंदी-लिखित ग्रंथों के खोज- वाला काम भी करते रहे । खोज की रिपोर्टों से आपकी विद्वत्ता प्रकट होती है। सरस्वती पत्रिका के श्राप दो वर्ष स्वतंत्र संपादक रहे, और पृथ्वीराज रासो के संपादन में दो अन्य महाशयों के साथ इनके द्वारा अच्छा श्रम हुआ। हिंदी-कोविद-रत्नमाला'-नामक ग्रंथ में आपने ८० लेखकों की जीवनियाँ दी हैं। आपने कई साल परिश्रम करके कई अन्य महाशयों के साथ हिंदी-शब्द-सागर-नामक भारी कोष बनाया। इनके अतिरिक्त कई छोटे-बड़े ग्रंथ आपने बनाए और संपादित किए। श्राप गद्य-लेखक अच्छे हैं और आपके अन्वेषण महत्त्व-पूर्ण होते हैं। हिंदी के लिये जितना श्रम आपने किया है, उतना बहुतों ने नहीं किया होगा। आपका जीवन हिंदी के लिये बड़ा ही उपकारी है। कई विद्वानों की सहायता से आपने ८ वर्ष के प्रचुर परिश्रम से हिंदी-वैज्ञानिक कोष'-नामक एक और भी उपयोगी ग्रंथ तैयार किया। आपमें एक विशेष गुण यह भी है कि आप दूसरों को प्रोत्साहन देकर हिंदी की सेवा में तत्पर करते रहते हैं । बहुत-सी पुस्तके आपने संपादित की हैं। साहित्यालोचन' तथा 'हिंदी-भाषा और साहित्य-नामक आपके ग्रंथ प्रसिद्ध हैं । गवेपणा और संपादन आपके मुख्य विषय हैं। समय-संवत् १९५८ नाम-(३९५३) गोकुलप्रसाद, कटनी-मुड़वारा । जन्म-काल-सं० १९३३ ।