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मिश्रबंधु

सं० १९५६ पूर्व नूतन २४३ 5 . समय-सं० १६५६ नाम-(३५५७) अमरकृष्ण चौबे (अमर )। जन्म-काल-अनुमान से सं० १९३६ । यह प्रसिद्ध महाकवि बिहारीलालजी के वंश में हैं। इनका संबंध विहारी से इस तरह है। छंद इन्हीं के हैं। प्रथम बिहारीदास प्रकट जिन सप्तसती कृत , बिसद ज्ञान के धाम कहूँ लवलेश न दुस्मत ; 'तिनके गोकुलदास तनय तिहि खेमकरन गनि , दयाराम सुत तासु बहुरि तिनके मानिक भनि पुनि भे गनेस तिनके तनय बालकृष्ण तिनके भएउ , गुन निपुन चतुरता सहन सोकविता तिय नायक कहेउ।।। तिनके भो अति मंदमति कविजन किंकर जानि , विद्या विमल विवेक बिनु अमरकृष्ण पहिचानि । २। यह बूंदी-दरबार के राजकवि हैं । कविता इनकी सरस होती है। उदाहरण- प्रारति हरन निगमागम बखानै तोहि , भारी निज बिरद प्रभाव क्यों पसारै ना; अमर भनत गुनहीन जन दीन जानि , मीन ज्यों बिहीन बारि खीनता बिसारै ना। अतुल उदार त्रिपुरारि प्रान प्यारे जग जलधि अथाह पेखि चित्त धीर धारै ना; कारन सकल कलि बारन पै सिंह रूप , तारन कहाय नास काहे पार पारै ना। नाम-(३५५८) कमलाप्रसाद वर्मा, पटना । जन्म-काल-सं० १९३९ । रचना-काल-सं० १९५६ के लगभग । - ,