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मिश्रबंधु

सं० १९५६ पूर्व नूतन , कुछ समय फुदकते ऐंठ अकड़कर चलते। पर फिर तुरंत ही टूट किधर हैं जाते नहिं तनिक किसी को पता कभी बतलाते । कैसा कहफहा दिवार यार है जीवन, होते ही जिसके पार, न पाता कुछ बन । नहिं श्रादि-अंत का पता संत घबराते , ज्ञानी - विज्ञानी खोज - खोज मर जाते । नाम--(३५५६) गंगाप्रसाद् एम्. ए० डेपुटी कलेक्टर, गोरखपुर में थे। अब सरकारी नौकरी छोड़कर टेहरी-राज्य में जुडीशल मेंबर हैं। . जन्म-काल- १९३४॥ ग्रंथ-(.) ज्योतिष-चंद्रिका, (२) सूर्य - सप्ताश्चवर्णन । अँगरेज़ी में अापने ईसाई और मुस्लिम-धर्मों पर हिंदू-मत का भूण एक बड़े मंथ में दिखलाया है । विवरण-श्रापके ग्रंथ विद्वत्ता पूर्ण हैं। नाम-( ३५६० ) देवीप्रसाद शुक्ल बी० ए० । यह कानपुर, मोहल्ला कुरसवाँ के निवासी एक सज्जन, उत्साही पुरुष और हमारे परम मित्र हैं। आप गय हिंदी अच्छी लिखते हैं । एक साल सरस्वती पत्रिका का श्रापने बड़ी योग्यता से संपादन किया, और कान्यकुब्ज-सभा एवं पत्र में भी बड़ा काम किया। श्रापका जन्म सं० १९३४ में हुआ । श्राप कानपुर के कॉलेज में अध्यापक थे, तथा इलाहावाद-विश्वविद्यालय में श्राजकल यही काम करते हैं। देश-हित के कार्यों में आप सदैव तत्पर रहते हैं । इस समय श्राप प्रयाग-हिंदू-बोर्डिंगहौस के वार्डन भी हैं । श्राप बड़े ही सजन नाम-(३५६१) बदरीप्रसाद त्रिपाठी, नबीनगर, जिला सीतापुर