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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद समय-सं०८७० के लगभग । ग्रंथ-सहजगीति। विवरण-नालंद के पास क्षत्रिय-वंश में पैदा हुए थे, और भिक्षु होकर उसी बिहार में रहने लगे। उस समय गौड़ेश्वर देवपाल वहाँ के राजा थे, जिनका समय सं० ८६६ से १०६ तक कहा जाता है। उपर्युक्त ग्रंथ मागधी हिंदी में लिखा हुआ भोटिया-भाषा में मिलता है। उदाहरण- राग कामोद २७ ते-भर कमल विकसर, बतिस नोइणी तसु अंग उहणसिउ । ६० चालिउ पपहर मागे अवधूइ, रअणहु पहजे कहेइ । ६० चालिम पपहर गउ णिवाणे, कमलिनी कमल बहइ पणाले । ध्रु० विरमानंद बिलक्षण सुध, जो एथु बूझइ सो एथु बुध । ध्रु० भूसुक भणइ मइ बूझिय मेले, सहजानंद महासुह लोले। ध्रु० राग मल्लारी ४६ "बाज गाव पाड़ी पँडा खाले वाहिउ, अदल बंगाले क्लेश लुड़िव । ६० आजि भूसुक बंगाली भइली, णि धरणी चंडाली लेली । ध्रु० उहि जो पंचघाट शह दिबि संज्ञा पठा, ण जाणमि चिन्न मोर कहिं गइ पठा । ध्रु.