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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९६० लीला नाटक, (१३) तारा उपन्यास, (१४) कृत्तिवासीय रामायण बालकांड, (११) रसिकरंजन पद, (१६) प्राचार प्रबंध, ( १७) प्रसन्न राघव नाटक, (१८) शुकोतिसुधासागर, (१६) रंभा-शुक-संवाद, (२०) बाल कालिदास, (२१) चंद्रप्रभ- चरित, (२२) पाशा कानन, (२३ ) पत्र-पुष्प अादि । विवरण-भारत धर्म महामंडल में निगमागम-चंद्रिका का कुछ दिन तथा माधुरी और सुधा का कई साल संपादन किया है। आपने बहुत-से बँगला-नाटक और उपन्यासों के अनुवाद किए हैं, तथा कुछ मौलिक ग्रंथ भी लिखे हैं । आप अच्छे गद्य-लेखक तथा सुकवि हैं । यदि जीविका साधनाथ श्रापको अनुवादों पर ही बहुत अधिक ध्यान न देना पड़ता, अथच मौलिक ग्रंथों की भोर श्राप भुकते, तो संभवतः परमोच्च श्रेणी के कवि होते । उदाहरण- बुद्धि-विवेक की जोति बुझी, ममता-मद-मोह-घटा घनी घेरी है न सहारो, अनेकन हैं ठग, पाप के पन्नग की रहै फेरी। त्यों अभिमान को कूप इतै, उतै कामना-रूप सिलान की ढेरी तू चलु मूढ़ सँभारि अरे मन, राह न जानी है, रैनि अँधेरी । नाम-(३५७५ अ) लक्ष्मणाचार्य महंत वाणीभूषण । नरसिंह देवला, जिला अमझेरा जन्म-संवत् १९३४ । रचना-काल संवत् १९६० । ग्रंथ ---(१) अद्भुत रामायण, (२) शिक्षा-शतक । विवरण-आप रियासत ग्वालियर में श्रीलक्ष्मीकांत नरसिंह देवला के महंत हैं । ग्वालियर की मजलिल श्राम के मेंबर हैं। श्राप एक सुकवि हैं। 3 ॥