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मिश्रबंधु

सं० १९४५ पूर्व नूतन २६३ मंथ-योगशास्त्र भाषा। नाम-( ३५८३ ) मधुरअली (मंजुअली), ग्राम पुरैना, रोवाँ-राज्य। काल-वीसवों शताब्दी का पूर्वाद्ध। ग्रंथ-(१) युगल-विनोद-पदावली (२०८ पृष्ठों का कविता- संग्रह), (२) युगल-विनोद, (३) युगल-हिंडोल-लीला । विवरण-आपका जन्म बैस-क्षत्रिय-कुल में हुआ था, और आप माध्व संप्रदाय के साधु हो गए । रीवा-नरेश महाराज रघुराजसिंहजी के आप कृपा-पात्र थे। नृत्य तथा गायन कला में प्रवीण थे। कहा जाता है, नृत्य करते समय प्रायः पद बनाते जाते और गाते जाते थे । इनकी कविता विशेषतया बघेलखंडी हिंदी में हुआ करती थी, जो सखी उपासना के भावों से भरी रहती थी। प्राचीन प्रथा के साधारण कवि थे।[श्रीयुत भानुसिंह बघेल, रीवाँ द्वारा ज्ञात ] उदाहरण- समर सुबेल तें लगाय लेत लंका-भर, दोनो दल दीरख देखात बड़े चाय सों हँकरि - हकारि लेत. पकरि पछारि देत, ऐसे भट भारी हैं भिरत बेग बाय सों। रावण को बेटा निज कुल को दुल्हेटा बेस, 'मंजुअली' जीतन को कीन्हें यज्ञ जाय सों लखन लला के हाँके हाय हल कंप माच्यो, बांच्यो नहिं इंद्रजीत एक हू उपाय सों। 'नाम-(३५८४) रघुनाथदास । ग्रंथ-(१) विष सुदामा की गुड़िया, (२) द्रौपदीजू की गुड़िया, (३) स्वामीजू की गुड़िया, (४) हनुमानजी की गुड़िया, १ ,