पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ४.pdf/३०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
३०४
३०४
मिश्रबंधु

सं. १९५६ पूर्व नूतन ग्रंथ-विश्व-बोध । विवरण-श्राप पं० रामकृपा मिश्र के पुग्न है । छत्तीसगढ़ मासिक पत्र भी आपने निकाला था। नाम-(३७८३) महेशप्रसाद ब्राह्मण, शंकरगंज, रीवाँ। जन्म-काल-सं० १९३१॥ नाम--(३७८४) राधामोहनजी मिश्र, मैनपुरी। मृत्यु-काल--सं० १९८१ अंथ-(१) पुरुपसूक की ऋचाओं का अनुवाद, (२) विदुर- नीति का पद्यानुवाद। उदाहरण- सहस सील पग गाँखि हुइ पूरि रहा जग जोइ ; भीतर-बाहर विश्व के पुरुष कहावै सोइ । व्यापक है ब्रह्मांड में और देह में जोइ। अंतरयामी सकल को पुरुप कहावै सोइ। नाम-(३७८५ ) रामनाथ शुक्ल, भैरवपूर, डा० खजुरो, जिला रायबरेली। जन्म-काल-सं० १९३१ । ग्रंथ-(१) शांति-सरोरुह, (२) ऋतु-रत्नाकर । --(३७०६ ) लालमणि, बाँदा । जन्म-काल-सं० १९३१ । नाम-( ३७६७) शीतलावख्शसिंह सेंगर ठाकुर, काँथा, जिला उन्नाव। जन्म-काल-सं० १९३१ । नाम---( ३७८८ ) श्यामजी शर्मा ( पांडेय ), भदावरि, धारा जन्म-काल-सं० १९३९। नाम-