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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९५७ गनै नहीं; 3 तही करे को बखान प्रलै भान की समान, जहाँ चंडी भौंह तान झूमि भारी किरवान । (जगदंब-यशावली से) कोटिन रती को रूप वारति तिनूका तोरि, कोरि पूनो सरद सुधाधर बिकस्यो बिभाति कोरि अरब अनंत कंज, सौरभित सोऊ नेक आवत मनै नहीं। रमा उमा सारदापि सुंदरी समेटि सब, यज्ञराज ताहू पर उपसा भने नहीं कोमल बडू को मुख हेरि-हेरि कौसला सों- हौसला के मारे कळू बोलत बनै नहीं। (रामायण-माला से) नाम-(३८००) युगल माधुरी। थ--मानसमार्तडमाला । (द्वि० ० रि०) नाम-(३८०१) रामगुलाम राम जायसवाल, जमोर, गया । 1-सं० १९३२। अंथ-(१) रामगुलाम-शब्द-कोश, (२) शकुनावली-रामा- यण, (३) नाम-रामायण, (४) पैसा-प्रताप-पचासा । नाम-(३८०२) रामनारायण (प्रमेश्वर) भाट, बछ. रावाँ, जिला रायबरेली। जन्म-काल-सं० १९३२ । ग्रंथ-प्रेमेश्वर-विरद-दर्पण । नाम-(३८०३ ) रामलगनलाल (छेम) कायस्थ, मदरा, जिला गाजीपुर। जन्म-काल-सं. १९३२ । अंथ-(क) विनय-पचीसी, (२) शंकर-पचीसी। (द्वि..रि.) जन्म-काल-