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मिश्रबंधु

मालिका पृष्ठ मिमबंधु-विनोद सं० १९५० नाम-~~( ३८१६ ) बक्सराम पांडेय ( हल्दी-निवासी) 'सुजान कवि पं० बक्सरामजी पांडेय की कविता ललित हैं। आपने ७ ग्रंथ रचे। (१) सं० १६५८ में बना हुआ तन्मयादर्श पृष्ठ ३० का ग्रंथ पद्यमय श्रृंगार रस से परिपूर्ण है। (२) श्रीकृष्णचंद्राभरण-अलंकार ग्रंथ पृष्ठ १४० का भी पद्यमय है। यह ग्रंथ भी सं० १९५८ का रचा हुआ है । (३) कमलानंदविनोद पृष्ठ १५४ का है। यह पद्यमय ग्रंथ भी सं० १६५८ का रचा हुआ है। (४) राधाकृष्णा- विजय १९६० के संवत् में बना हुश्रा २४६ पृष्ठों का ग्रंथ है। इनके अतिरिक्त ( ५ ) रुक्मिणी-उद्वाह पृष्ठ ५४, ( ६ ) सदुपदेश- २० और (७) श्रीरामेश्वर-भूपण पृष्ठ १०६ (अलंकार-नथ ) भी आपने रचे । ये तीनो ग्रंथ सं० १६६० में ही बने । कृष्णचंद्र चंद्रिका सं० १६५० में रची गई (द्वि० ० रि०)। आपने समस्या-पूर्ति में बहुतेरे छंद बनाए । आप एक सुकवि थे। समस्या-पूर्ति के बहुतेरे छंद देखने में पाए हैं। नाम--(३८२० ) बनवारीलाल वैश्य, जबलपूर । थ-(१) बारहमासा, (२) बनवारीकला । जन्म-काल-सं० १९३३ । नाम-(३८२१) मंगलीलाल कायस्थ, पैंतेपुर, बाराबंकी। ग्रंथ-~(१) मंगलकोष, (२) विजय-चंद्रिका, (३) कृष्णप्रिया । नाम--( ३८२२) रणजीतमल्ल (श्याम), मझौली । जन्म-काल-सं. १९३३ । विवरण-महाराज मझौली उदयनारायणसिंह के भाई थे। नाम-(३६२३.) राजधरलाल (राज), नृसिंहपुर । जन्म-काल-सं० १९३३ ।