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मिश्रबंधु

5 सं० १९६० पूर्व नूतन नाम- (३८४५) गिरिजाकुमार घोष । ग्रंथ---उत्तरराम-चरिन ( अनुवाद ) तथा और भी ग्रंथ । इनके कई लेख पार्वती-नंदन के नाम से भी निकले हैं। नाम-( ३८४६ ) गिरिधारीलाल, झालरापाटन । नाम-( ३८४७) गोकुलचंद्र मिश्र 'प्रेम', सैनपुरी। जन्म-काल-लगभग सं० १९३५। थ-वर्तमान योरप-संग्राम ( पद्य-ग्रंथ )। विवरण-यह प्रसिद्ध पंडित काशीनाथजी के पुत्र माथुर चतुर्वेदी ब्राह्मण हैं । आपका उक्त ग्रंथ 'जीवनी-प्रेस, कलकत्ता से प्रकाशित हो चुका है। उदाहरण- और-और गुंजत मलिंद मतवारे फिरें , और तौर अंबन पै बौर सरसायो री; कोइल कुहूकै चहुँ ओरन सौ प्रेम भरी , पपिहा पुकार, शोर मोरन मचायो री। फूलि रहे फूल कुंज-कुंजन अनेक भाँति , सोई संग सैन लै सिपाहिन की धायो री विश्व के बिजय हेतु काम-रूप धारि मानौ , बीर बर विपिन बसंत बनि आयो री। नाम-(३८४८) गोकुलप्रसाद बाबू । ग्रंथ-दुर्ग-दर्पण। विवरण-हिंदी-भाषा के परम भक्त तथा रायबहादुर हीरालालजी के बंधु हैं। नाम--( ३८४६) चतुर्भुजदास स्वामी, बीकानेर। जन्म-काल-लगभग सं०११३८ । मंथ-भवानी-मंगल ।