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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद विवरण-नगर भोग देश (?) के ब्राह्मण-वंश में उत्पन्न हुए थे। पीछे घंटापाद के शिष्य होकर भिन्तु हो गए । इनके शिप्य प्रसिद्ध मत्स्येन्द्रनाथ, करहपा और तंतिपा थे। करहपा महाराज देवपाल (सं० ८६६-१०६ ) के समय में हुए थे । उन्हीं से इनके समय का पता लगता । उदाहरण- राग निवेद, लाल साठ ७६ "खय निरंजन अद्ध प अनु पद्म गगन कमरंजे साधना, शून्यता विरासित रायश्री चिय देवपान-बिंदु समय जो दिता । ध्रु० नमामि निरालंब निरक्षर स्वभाव हेतु स्फुरन संप्रापिता, सरद-चंद्र-समय तेज प्रकासिता जरज-चंद्र समय व्यापिता। 5. खडग योगांवर सादिरे चक्रवर्ति सेह-मंडल भमलिता निर्मल हृदयारे चक्रवर्ति व्यावित अहितिसिहंजन मय साधना । ध्रु० श्रानंद-परमानंद विरमा चतुरानंद जे संभवा; परमा बिरमा माँझे रे न छादिरे महासुख सुगत संप्रद प्रापिता । ध्रु. हे वज्रकार चक्र श्रीचक्रसंवर अनंत कोटि सिद्ध पारंगता,