पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ४.pdf/३२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
३२३
३२३
मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद w नथ-स्फुट ल्याल। विवरण-आपके रचे हुए ज्याल प्रायः गए गाया करते हैं । उदाहरण- माया-मोह कि महिमा में मस्ती चढ़ती मस्तानों को ; मिलती है अलबत्त सज़ा फिर ऐसे बेईमानों को । छंहो शास्त्र का करै सुताला बाँचे बेद-पुरानों को ; लंबी धोती पहिन-पहिन जाते गंगा - अस्नानों को। भगवत में नहिं भक्ति-भावना, पूजे भूत-मसानों को ; निज नारिन का जतन करावें घर बुलवा के स्थानों को। पेट के कारन ढोंग बनावे फिरते दो-दो दानों को; मिलती है अलवत्त सज़ा फिर ऐसे बेईमानों को। इकतालीसवाँ अध्याय उत्तर नूतन परिपाटी संवत् १९६१ से १९७५ तक उत्तर नूतन परिपाटी के समय में राजनीतिक आंदोलन का देश में बल बढ़ा । बंग-भंग से बंगालियों को बहा क्षोभ हुआ, और भारतीय शेष प्रांतों ने भी उनका साथ दिया । १६६३ में मुसलमानों का एक डेपुटेशन बड़े लाट साहब लॉर्ड मिंटो की सेवा में उपस्थित हुआ, और वहाँ से हिंदुओं के प्रतिकूल मुस्लिम-अधिकार-वृद्धि के मामले में उसे आश्वासन के वचन मिले। १९६६-६७ में भारत. सचिव लॉर्ड माली ने कुछ राजनीतिक उन्नति की, जिससे देश में कुछ सांत्वना हुई । १६६८ में सम्राट् की ताजपोशी का जल्सा दिल्ली में हुआ, जिसमें बंग-भंग का प्रश्न ठीक-ठीक निर्णीत हो गया। बंगाल के दोनो भाग एक हो गए, किंतु बिहार बंगाल से अलग हो