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मिश्रबंधु

२६ मिश्रबंधु-विनोद समय-सं० १०३० के लगभग । ग्रंथ-(१) नाडपंडितगीतिका, (२) वज्रगीति । विवरण---इनके पिता काश्मीर-निवासी ब्राह्मण थे। वह मगध में श्राए थे, वहीं इनका जन्म हुआ । बहुत बड़े विद्वान् होकर सिद्ध तिलोपा के शिष्य हो गए । नालंद-विधालय में शिक्षा पाई थी। विक्रमशिला में पूर्व द्वार के महापंडित हुए । इनका देहावसान सं० १०६६ में होना कहा जाता है । उदाहरण-स्वरूप इनकी कोई रचना नहीं मिलती। चर्यागीति में ताडकपाद के नाम से एक पद मिलता है, पर इस नाम के कोई सिद्ध नहीं हुए । संभवतः यही ताडकपाद नाडकपाद हैं। वह गीति नीचे दी जाती है- अपणे नाहिं सो काहेरि शंका, ता महामुदेरी दूटि गेलि कंथा। ध्रु० अनुभव सहज मा भोलरे जोई, चोकोट्टि वियुका जइसो तइसो होइ । ध्रु. जइसने अछिले स तइछन अच्छ, सहज पिथक जोइ भाँति माहो वास । ध्रु. बांड कुरु संतारे जाणी, बाक्यातीत काँहि बखाणी । ध्रु. भणइ ताडक एथु नाहि अवकाश, जो बुझइ ता गलें गलपास । ध्रु. 3.) जयानंत( जयनंदी)पाद (सिद्ध ५८)। ससम-सं० १०५० के लगभग । अंथ तर्कमुद्रकारिका और मध्यमकावतार टीका तंजूर में है। चर्यागीति से इनकी गीति नीचे लिखी जाती है। विवरण--यह जाति के ब्राह्मण भागलपुर-नरेश के मंत्री थे। इनके गुरु-शिष्य का पता नहीं लगता ; अतः समय का भी ठीक नाम-