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मिश्रबंधु

३४० मिश्रबंधु-विनोद सं० १९६१ विवरण-आपने विविध विषयों के चुनाव में अच्छी पटुता दिखलाई है । इस ओर अापके ग्रथों का अभी बहुत चलन नहीं है। नास-(३८८४) शिवनाथसिंह सेंगर । जन्म-काल-१६३६ । ग्रंथ-(१) सिंहल-द्वीप में सेंगरों का राज्य, (२) गुहिलोत और नागर ब्राह्मण, (३) क्षत्रिय-वंशावलि-वेत्ताओं की निरंकुशता, ( ४ ) हिंदू-देव-मंदिर और पुराने समय के अँगरेज़ कर्मचारी, (१) लोकेंद्राख्यान, ( ६ ) सरेह के सेंगर-वंश का संक्षिप्त इतिहास, (७) क्षात्र धर्म, (८) शिवनाथ-भास्कर । विवरण-आप कुँवर प्रानंदीसिंह सेंगर के पुत्र तथा श्रीजगम्मन- पुर-नरेश के समीपी भ्रातृ-वर्गों में से हैं । अाजकल आप बीकानेर- राज्य में खासगी-विभाग के प्रॉफिसर हैं। आपने क्षत्रिय-जाति का इतिहास बड़ी खोज तथा छान-बीन के साथ लिखा है । आपका ऐतिहासिक श्रम श्लाघ्य है। नाम---(३८८५) शिवरत्न शुक्ल बछरावाँ, जिला रायबरेली। जन्म-काल-सं० १९३६ । ग्रंथ-(१) प्रभु-चरिन, (२) श्रीरामावतार, (३) आर्य- सनातनी संवाद, (४) भिक्षा देहि, (५) स्वामी विवेकानंद के अँगरेज़ी-लेखों तथा व्याख्यानों का अनुवाद, (६) स्वामी शंकराचार्य का जीवन-चरित्र, (७) उपदेश-पुष्पांजलि, (%) परदा, (6) रामावतार, (१०) ऋतु-कविता, (११) कान्यकुब्ज-रहस्य, (१२) परिहास-प्रमोद, (१३) भरत-भक्ति। यह अंतिम प्रायः पाँच- सौ पृष्ठों का उत्कृष्ट कान्य-ग्रंथ है। रेल के विषय पर भी आप ने कई ग्रंथ लिखे हैं । आपका साहित्य श्लाघ्य है । यदि भरत-भक्ति- सा चमत्कार-पूर्ण भारी ग्रंथ आपने किसी नूतन एवं अच्छे विषय पर लिखा होता, तो आपका परिश्रम वास्तव में श्लाघ्य होता।