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मिश्रबंधु

सं० १९६२ उत्तर नूतन नाम-(३८६०) नंदकिशोर शुक्ल, वाणीभूषण । जन्म-काल-सं० १९३७ । रचना-काल-सं० १९६२ । ग्रंथ-(१) उपनिषदों का उपदेश, (२) सनातन धर्म और दयानंदी मर्म, (३) तुलसी-महिमा, (४.) तुलसी-सूक्ति संग्रह, (५) भारत-भक्ति-पुरी प्रसाद-व्यवस्था, (६) खेल फिलासफी राष्ट्रीय फाग, (७) मुष्टी संप्रदाय, (८) पंच गकार प्यारे दोहे, (8) अहतवाद, (१०) गीता रहस्य, (1) भगवान् कृष्ण । विवरण --आप उन्नाव-ज़िलांतगत टेढ़ा-निवासी पं. शिवप्रसन्न के पुत्र हैं। भारी व्याख्याता एव हिंदी के गद्य-पद्य-लेखक हैं। नाम-(३८६१ ) मन्नन द्विवेदी गजपुरी बो० ए०, एम्. ए०, एल० बी०। गोरखपुर-जिलांतर्गत रापती-तटस्थ गजपुर गांव में जीविका-वश कुछ कान्यकुब्ज घराने प्रा बसे हैं। इन्हीं में कश्यपगोत्रीय मंगलालय के दुबे लोगों का कुल भी है। इसी बंश में पं. मातादीन द्विवेदी एक प्रसिद्ध रईस ज़मींदार और व्रजभाषा के कवि थे। पं. मन्नन द्विवेदी अाप ही के पुत्र हुए। स. १६४७ वि० की नापाढी प्रतिपदा के दिन आपका जन्म हुआ। सब परीक्षाओं को अच्छी तरह पास करते हुए १६६५ में आपने गवर्नमेंट-कॉलेज, बनारस से बी०ए० पास किया। कविता करने और लेख लिखने का श्रापको लड़कपन से शौक था। मुख्य काव्य-मंथ-(१) मातृभूमि से विदाई, (२) मातृभूमि, (३) मृत्यु-शय्याशायी रावण, ( ४ ) विंध्याचल, (२) भारत माता गांधी के प्रति, (६) प्रेम-पंचक, (७) ग्रामीण दृश्य, (2) अर्धरात्रि, (8) जन्माष्टमी, (१०) दासत्व, (११) गृह-लक्ष्मी, (१२) सती सुलोचना, (१३) प्रार्थना, ( (१४) काशी, (१५) प्रयाग, (२६) हमारा ग्राम, (१७) विश्वामिन्न