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मिश्रबंधु

३४८ मिनबंधु विनोद सं० १९६३ श्रादि की यात्राएं की थीं, जिनके वर्णन पुस्तक-रूप में प्रकाशित किए गए हैं । आपकी भाषा बड़ी जोरदार होती है। कहीं-कहीं अत्युक्ति भी समझ पड़ती है । सासयिक पत्रों में श्रापके लेख. निकला करते हैं । व्याख्यान भी अच्छे देते हैं। ऐसे ही नवीन भाव-पूर्ण लेखकों की देश को आवश्यकता है। २०००० से ऊपर प्रतियाँ आएके बिगुल की बिक चुकी हैं। आपके कई ग्रंथों के बँगला, गुजराती आदि में अनुवाद हुए हैं। गरम विचार अवश्य रखते हैं, किंतु इतने नहीं कि जेल जाना पड़ा हो । नाम-( ३८६४ ) हरीकृष्ण जौहर, कलकत्ता । जन्म-काल-सं० १९३७ । ग्रंथ (1) जापान-वृत्तांत, (२) अफ़ग़ानिस्तान का इतिहास, (३) भारत के देशी राज्य, (४) रूस-जापान-युद्ध, (५) पलासी की लड़ाई, (६) कुसुमलता आदि बहुत-से ग्रंथ । विवरण-आप हिंदी वंगवासी के सपादक एवं लब्ध-प्रतिष्ठ उच्च श्रेणी के लेखक हैं। -संवत् १६६३ -~-( ३८९५) काशीप्रसाद जायसवाल एम० ए० बैरिस्टर मिर्जापुर, हाल पटना । जन्म-काल--सं. ११३८ । रचना-काल-सं० १९६३ । मंथ-कलवार-गज़ट, कई स्फुट लेख । विवरण -श्राप बड़े मिलनसार सज्जन पुरुप हैं । पुरातत्व में आपने अच्छा श्रम किया है, और कई लेख लिखे हैं । प्रसिद्ध हिंदी-प्रेमी और ज्ञाता हैं। नाम-( ३८६६) गिरिधर शर्मा नवरत्न । जन्म-काल-सं० ११३८ । समय-