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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९६३ श्राप सरायमीरा ज़िला फरुखाबाद के रहनेवाले पंडित बतानूलाल मिश्र के पुत्र और हमारे जामाता हैं । श्राप फरुखाबाद में वकालत करते हैं। इन्होंने स्पेन का इतिहास गय में बनाया है। आपका जन्म-संवत् लगभग १६४५ है। रचना-काल १९६३ से प्रारंभ होता है। नाम-(३१) जनार्दन मिश्र 'परमेश', ग्राम सनौर, जिला संथाल (बिहार)। जन्म-काल-सं० १९४८ । रचना-काल-सं० १९६३ । ग्रंथ-(१) जार्ज-किरणोदय ( १९६८), (२) हमारा सर्वस्व, (३) रसबिनु, (४) पद्य-पुष्प, (५) सती, (६) जीवन-प्रभा, (७) काला पहाड़ (अनुवाद), (2) चीर-वृत्तांत, (8) कृष्णा, (१०) घटकर्पर काव्य, (११) हेमा, (१२) राष्ट्रीय गान । विवरण-श्राप पं० मुरारी मिन के पुन्न तथा पं० हर्षदत्त मिश्र के प्रपौत्र हैं । मैथिल ब्राह्मण हैं । आपने कुछ काल पर्यंत खड्गविलास- प्रेस में सहायक संचालक (मैनेजर ) के रूप में काम किया । भागलपुर में कारोनेशन अाट्स प्रिंटिग वर्क्स से आपने साहित्य- कल्पलता नाम की एक ग्रंथमाला निकाली, तथा वहीं से आपके संपादकत्व में 'सुप्रभात' नामक मासिक पत्र का प्रादुर्भाव हुआ, किंतु यह पन्न धनाभाव के कारण शीघ्र ही बद हो गया। अस्थायी साहित्य के अतिरिक्त आपकी लिखी हुई प्राइमरी तथा मिडिल पाठशालोपयोगी पुस्तकें बहुत-सी हैं । आप गद्य तथा पद्य दोनो के सुलेखक हैं । वीरवृत्तांत तथा सती कृष्णा नाम्नी आपकी रचनाएँ प्रकाशित होनेवाली हैं । आपका साहित्य देश-प्रेम से पुलकित एवं प्रकृति-निरीक्षण तथा वर्णन-चातुर्य से सौरभित है। उदाहरण -