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मिश्रबंधु

'तवाद मिभयंधु-विनोद सं० १९६७ प्रणीत 'सर्व-सिद्धांत-संग्रह' का भाषानुवाद, (-) श्रत ( माधुरी-पत्रिका में प्रकाशित ), (8) धर्मपद (समालोचनात्मक भाषानुवाद, अभी छपना है), (१०) आर्य-समाज के सिद्धांत- विषयक ७१ ट्रैक्ट (हिंदी में ६७ और अँगरेज़ी में ४)। विवरण -आपका मुख्य निवास स्थान मर्थरा, जिला एटा है। इस समय यह दयानंद-हाईस्कूल, प्रयाग के सुविख्यात प्रधानाध्यापक हैं। आपने प्रयाग-विश्वविद्यालय से अँगरेजी तथा दर्शनशास्त्र में एम० ए० की उपाधि प्राप्त की। यह महाशय एक उच्च कोटि के विद्वान् हैं, और अपने विद्वत्ता पूर्ण ग्रंथों द्वारा इन्होंने हिंदी- साहित्य की प्रशंसनीय पुष्टि की है । अपर लिखे हुए ग्रंथों के अतिरिक्त आपने पाठशालोपयोगी नए ढंग के व्याकरण-थ तथा पाठ्य पुस्तकें रची है, और इस उपलक्ष में सरकार ने आपको पारितोषिक प्रदान करके सम्मानित किया है। आजकल आप 'समाज- सुधार' तथा 'महिला-व्यवहार-चंद्रिका' नामक पुस्तकें लिख रहे हैं । नाम --(३६०२) चंद्रमौलि सुकुल, हिंदू-विश्वविद्यालय, काशी। जन्म-काल---सं० १९३९ । रचना-काल-सं० १९६४ । ग्रंथ-(१) मानस-दर्पण (अलंकार ग्रंथ ), (२) अकबर (अकबर की जीवनी तथा तत्कालीन इतिहास), (३) शरीर और शरीर-रक्षा, (४) भाषा-व्याकरण, (५) अरिथस्थटिक-शिक्षा- प्रणाली ( अंकगणित पढ़ाने की विस्तृत रीति), (६) मनोविज्ञान (Psychology ), (७) रचना-विचार (हिंदी में निबंध तथा पत्र-लेखन की रीति ), (८) नाट्य कथामृत (अँगरेज़ी में 'लेम्स टेल्स' की रीति पर ), (8.) जानकी गीत संस्कृत की टीका (अप्र- काशित), (१०) सादी कृत 'करीमा' का हिंदी-पद्यात्मक अनुवाद, (११) गणित की प्रथम पुस्तक (हिंदी), (१२) लोअर प्राइमरी ,