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मिश्रबंधु

5 मिश्रबंधु-विनोद सं. १९६४ विवरण-देवरी-निवाली सैयद अमीरअली 'मीर कवि' श्रापके काव्य-गुरु थे । इस समय आप श्रध्यापक हैं। आपकी रचनाएँ कानपुर से निकलनेवाले 'सुकविं पत्र में प्रायः निकला करती हैं। [श्रीयुत लचमीप्रसादजी मिस्त्री द्वारा ज्ञात ] उदाहरण- देश-सुधार करें न कछु, पर भेष-सुधार अनेक करेंगे आपुस में करि वैर सदा, कबहूँ नहिं धर्म में ध्यान धरेंगे। मानत सीख न वेदन की, कुल-लाज-जहाज डुवाय भरेंगे

जे नर दूसरे द्वारनि ते खर कूरहि स्वान-समान फिरेंगे। पालहु धर्म सबै अपनो, नहिं दूसरे के पथ पैर अड़ानो ; प्रापुस बैर तजौ अबहू, निज देख दशा हिय में शरमायो । भ्रात-सनेह करो सबसे अरु फूट-अपंच को दूर भगानो; जान 'वजीर' सु औसर को अव देश के शीस कलंक न लायो। -( ३६०५) रामचंद्र शास्त्रो, लाहौर । जन्म-काल---सं० १९३९ । रचना-काल-सं० १९६४ । ग्रंथ-(१) शुद्धि, (२) आरतगौरवादर्श । विवरण---उत्कृष्ट लेखक । नाम ---( ३६०६ ) रामजीशरण विंध्याचलप्रसाद, ग्राम हरपुर नाग, चंपारन (बिहार-प्रांत)। जन्म-काल-सं० १६३१ ग्रंथ-(.) श्रीकृष्णायन, (२) विनय रताकर, (३) अष्टक- भंडार, (४) कामादिवशीकरण, (५) नाम-यश-दर्पण, (६) नाम-यश-कुटीर, (७) जानकी-यश-तरंगिणी, (८) सीता-सुयशा- वली, ( 6 ) गुरु-वंदना, (१०) विलोम-दोहावली, (११) सारदा- लंबोदर, (१२) प्रह्लाद-सौगंध, (१३) कलह-मोचनी, (१४) नाम-