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मिश्रबंधु

उत्तर नूतन ३६१ । ग्रंथ---(१) सोहागरात अथवा वहूरानी को सीख, (२) मातृत्व, (३) मनोरमा के पत्र । विवरण-अापने मातृत्व के विषय पर इन ग्रंथों द्वारा अच्छा प्रकाश डाला है। देश-प्रेम के कारण कई बार जेल-यात्रा कर चुके हैं। श्रभ्युदय तथा मर्यादा का संपादन बहुत दिन तक किया था । सोहाग- रात बहुत ही विख्यात है। नाम-( ३६१० ) गदाधरसिंह (सजौलिया निवासी), पो. सिधौली, जिला सीतापुर । जन्म-काल-सं० १९४०। जन्म-समय के उपलक्ष में आपकी लिखी सवैया नीचे दी जाती है----- मेखहि लग्न विजै दशमी बुध संबत चालिस प्राप्त शुभौ थे सप्तम राहु परातन केतु मयंक बृहस्पति कर्क में चौथे। पष्टम सूरज शुक्ल बुधौ ये गदाधर हैं परे पूछो न कौथे; दूसरे में शनि, तीसरे मंगल, या प्रगटात समै ग्रह नौ थे। ग्रंथ -(१) साहित्य-दिवाकर ( नायिका-भेद), (२) भामिनी- दुर्भाव ( अप्रकाशित)। विवरण---थाप श्रीशमशेरसिंहजी के पुत्र तथा श्रीमान् राजा सूर्यवाशसिंह सी० आई० ई. कसमंडाधिप के भतीजे हैं। यह महाशय नं० २५६७ तथा नं० २७४४ पर आए हुए इसी नाम के दो कवियों से भिन्न है । हमको यह कवि श्रीयुत महिपालसिंहजी, सिजौलिया (सीतापुर ) द्वारा ज्ञात हुए । इन्होंने षट् ऋतुओं का भी अच्छा वर्णन किया है। उदाहरण- वा सुकुमार श्रती लगै सुंदर भाभा है केशन में तम-तोम की सादी पोशाक सों जो छवि जाहिर भंगहि अंग औं रोसहि रोम की।