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मिश्रबंधु

सं० १९६५ उत्तर नूतन जन्म-काल-~लगभग सं० १९४०। रचना-काल--सं० १९६५ । विवरण -~-श्राप पहले उर्दू में लिखा करते थे, और अब भी लिखते हैं, पर अब हिंदी की ओर इनका विशेष ध्यान है। आपने गल्प, आख्यायिका एवं उपन्यास-लेखन में विशेष महत्व प्राप्त किया है, और मुख्यतया अापकी गल्पों का बड़ा मान है। आपके ग्रंथों में सेवा-सदन', 'रंगभूमि', ' कला', 'संग्राम', 'काया-कल्प' इत्यादि बड़े प्रसिद्ध हैं। इनके ग्रंथों की संख्या बहुत अधिक है, और उपन्यासों की बड़ी धूम है । सच पूछिए, तो आपने उपन्यास-विभाग में हिंदी की बड़ी श्लाध्य अंग-पुष्टि की है, और हम गल्प एवं उपन्यासकारों में इनका स्थान बहुत ऊँचा समझते हैं। इनमें एक यह भारी त्रुटि ठीक ही कही जाती है कि इन्होंने अपने नायकों इत्यादि के चरित्र एकरस नहीं उतार पाया । इनमें अनेक गुण भी हैं। आपका स्थान हिंदी-साहित्य में बहुत काल तक स्थिर एवं अटल रहेगा। बड़ी कथाओं से आपकी छोटी कथाएँ श्रेष्ठता बनी हैं। आपके बड़े उपन्यासों में पात्रों का रूप बिगड़ जाता है, तथा वर्णनों का श्राकार उचित से कुछ बड़ा हो जाता है। नाम-( ३६१४) महशचरणसिंह कायस्थ, लखनऊ। जन्म-काल-लगभग स. १९४० । ग्रंथ ----हिंदी केमिस्ट्री इत्यादि कई पुस्तकें लिखी हैं । विवरण-बड़ी ही उपादेय पुस्तकें आपने बनाई हैं। नाम-( ३६१५ ) रामचंद्र शुक्ल, मिर्जापुर, हाल बनारस । ग्रंथ-(.) कल्पना का आनंद, (२) मेगास्थनीज़ का भारतवर्षीय विवरण, (३) राज्य-प्रबंध-शिक्षा, (४) राधाकृष्णदास का जीवन- चरित्र, (५) अमिताभ, (६) स्फुट गद्य और पद्य-लेख,