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मिश्रबंधु

सं. १९६८ उत्तर नूतन समय-संवत् १९६८ नाम-( ३६३०) गयाप्रसाद शास्त्री 'श्रीहरि', खैराबाद । जन्म-काल-सं० १९५१ । रचना-काल-सं० १९६८। ग्रंथ-(१) 'बालवोधिनी' (गीता की संस्कृत-टीका), (२) 'गीतार्थ-चंद्रिका' (गीता की हिंदी-टीका ), (३) 'गृह-चिकित्सा (वैद्यक)। विवरण-श्राप खैराबाद के रहनेवाले हैं। आजकल लखनऊ में वैद्यक कर रहे हैं। उदाहरण- साथी सब स्वार्थ के सनेही जो कहाते नाथ ! मिन, पुत्र, बांधव न कोई काम आते हैं; प्रेम-रस-प्यासे प्रान प्यासे ही रहे हैं सदा, प्यारे प्रेमधन की न छाया कहीं पाते हैं। देखे विना जिनको न पाते कल एक पल, वे ही छल-बल से हमें ही कलपाते हैं। 'श्रीहरि' सुना है, यश श्रापका विशद यह, जिसका न कोई, उसे श्राप अपनाते हैं। नाम-( ३.३१) बदरीनाथ भट्ट बी० ए०, नरही, लखनऊ। जन्म-काल-सं० १९४८ रचना-काल-सं० १९६८1 ग्रंथ-(१) चंद्रगुप्त, (२) दुर्गावती, (३) विवाह-विज्ञापन, (४) लबड़धोंधों, (५) बेन-चरित श्रादि । विवरण----आप पं. रामेश्वर भट्ट के पुत्र हैं। कुछ काल तक 'बाल- सखा' के संपादक रह चुके हैं। आजकल लखनऊ-युनिवर्सिटी के