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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १६० गद्य के ज़ोरदार लेखक हैं । इनकी भाषा बोल-चाल की कुछ उर्दू मिश्रित, परंतु परिमार्जित होती है। नाम- ( ३६५५ ) राधेश्याम कथावाचक, बरेली। जन्म-काल-लगभग सं० १९४५ । रचना-काल-सं० १९७० । ग्रंथ-राधेश्याम की रामायण और लगभग २५-३० नाटक । विवरण-आप फ़िल्म-कंपनियों के नाटककार हैं। एक प्रेस प्रायः इन्हीं की रचनाओं से चलता है। इन्हीं रचनाओं और प्रेस के सहारे इनकी प्रायः १०००) मासिक श्राय है । कविताएँ सादी तथा सरल हैं। इनके नाटक अाजकल जनता बहुत पसंद करती है, परंतु साहि- त्यिक दृष्टि से वे महत्व पूर्ण नहीं हैं। वरेली से निकलनेवाले 'भ्रमर'- पन्न के संपादक भी रहे हैं। नाम-(३६५६) रामचंद्र टंडन । ग्रंथ-(१) सुगल-सम्राट् बाबर, (२) अयोध्या,(३) सरोजिनी नायडू का जीवन-चरित्र, (४) कलिका इत्यादि कई ग्रंथ । विवरण--शाहजादपुर, जिला फैज़ाबाद-निवासी भैया महादेव. प्रसाद के पुत्र । आप नागरी-प्रचारिणी सभा में अच्छा काम करते हैं । रचना में अन्योक्ति की कुछ छटा तथा देश-प्रेम की अच्छी पुट है। उदाहरण- सुमन, आज तू पड़ा हुआ है धरती तल पर सभी जा रहे हाय ! तुझी को कुचल-कुचल कर। पर आता है याद तुझे वह गया ज़माना; पाने को थे तुझे यन करते सब नाना। अकड़-पकड़कर डाल पर करता था तू नाज़ तव , वह तेरा औद्धत्य मद कहीं गया है आज सब। नाम---(३६१७) लक्ष्मण शास्त्री, नागोर । $