सं० १६७० उत्तर नूतन कहूँ क्या प्राणधन से, ये हृदय में सोच हो आया, कही कुछ बोल दें पहले, प्रतीक्षा में रुकी थी मैं । अचानक ध्यान पूजा का हुआ, झट नाँख जो खोली, नहीं देखा उन्हें, बस सासने सूनी कुटी देखी। हृदय-धन चल दिए, मैं लाज से उनसे नहीं बोली, गया सर्वस्व, अपने आपको दूनी लुटी देखी। नाम--(३६६०) हनुमानप्रसाद पोदार मारवाड़ी, गोरखपुर। जन्म-काल-लगभग सं० १९४५ रचना-काल-सं० १९७० ग्रंथसंपादक कल्याण मासिक । विवरण-आपके लेख विद्वत्ता पूर्ण होते हैं । कल्याण धार्मिक पत्रिका है, जिसकी नाहक-संख्या लगभग २० हजार सुनी जाती है। सव हिंदी-पत्रिकाओं में इसकी महत्ता विशेष है, किंतु लेख साधारण हैं। नाम-(३६६१) हीरालाल खन्ना, कानपुर । जन्म-काल-लगभग सं० १९१० रचना-काल-सं० १९७० । मंथ-~स्फुट लेख। विवरण---सनातन-धर्स-कॉलेज के प्रिंसिपल तथा अच्छे ज्याख्याता एवं उत्साही हिंदी-सेवक। समय-संवत् १९७१ नाम-( ३६६१ अ) खलकसिंहदेव राजा खनियाधाना । जन्म-काल-सं० १९४६ । कविता-काल-सं० १९७१ । अंथ-सत्य-कथा-संग्रह।